मछली पालन कैसे शुरू करें, Fish farming in hindi, मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण, मछलियों में होने वाले रोग, मछलियों का भोजन, मछली पालन से विविध लाभ, सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली, मछली पालन को क्या कहते हैं?, रोगग्रस्त मछलियों के लक्षण, pond for fish farming

नॉनवेज खाने वाले लोगों को मछली काफी पसंद होती है। खाने के अलावा मछली का बिजनेस भी करना काफी फायदेमंद होता है। मछली पालन एक ऐसा जलीय व्यापार है जिससे आप लाखों रुपए की कमाई हर महीने कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2020 में 5 वर्ष की अवधि के लिए 20,050 करोड़ रुपए से अधिक के बजट के साथ इस योजना की शुरुआत की थी। भारत में मत्स्य पालन लगभग 14.5 बिलियन लोगों को रोजगार देता है। प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत साल 2024-25 तक मछली उत्पादन को 22 एमएमटी करने का लक्ष्य रखा गया है।अभी यह लक्ष्य 15 एम एमटी है।
मछली पालन कैसे शुरू करें (How to start Fish farming in hindi)
यह बिजनेस इतना फायदेमंद इसलिए है क्योंकि बारिश ना होने के कारण तालाबों, पोखरों,नहरों में पानी की कमी रहती है जिसके कारण मछलियां पर्याप्त मात्रा में बाजार में नहीं मिलती। ऐसे में मछली पालन का व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। मछलियों को प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। इसका मांस खाने के लिए तो उपयोग में लाया ही जाता है इसके अलावा मछली के तेल से अनेक प्रकार के उत्पाद भी बनाए जाते हैं।
मछली की कई मशहूर हो प्रजातियां हैं जिसमें से रोहू, कतला, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प की मांग सबसे ज्यादा रहती है। इन मछलियों की कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक हो सकती है। तालाब में मछली के बीज डालने के बाद एक महीन के अन्दर ही पूरी तरह तैयार हो जाता है।
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फिश फार्मिंग के लिए ट्रेनिंग :-
बिजनेस शुरू करने से पहले प्रशिक्षण लेना जरुरी होता है। जिसके लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान से जानकारी ले सकते हैं जो पूरी तरह से मदद करती है।
मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण (pond for fish farming):-
बरसात के दिनों में तालाब का निर्माण कार्य अच्छा होता है। ध्यान रहे तालाब बनाने का चुनाव उस जगह पर करना चाहिए जहां बरसात और नदियों का पानी न आ सके। अगर आप छोटे स्तर पर मछली पालन का बिजनेस शुरु करना चाहते हैं, तो छोटे तालाबों, झीलों आदि में कर सकते हैं। बड़े स्तर पर बिजनेस करने के लिए बड़े तालाब,पोखरों,झीलों को बनाकर आप मछली पालन कर सकते हैं।
मछलियों के पालन में तालाब बनाने के लिए बलुई तथा रेतीली मिट्टी का मिश्रण अच्छा माना जाता है। तालाब के तलछटी समतल और एक तरफ हल्का ढलान होना चाहिए जिससे मछलियां निकालने में आसानी रहे।
तालाब में बांध के रिसाव को रोकने और मजबूती के लिए तालाब में बांध बनाते समय पानी का छिड़काव करके मिट्टी को अच्छी तरह दबाना चाहिए। तालाब का पानी निकालने के लिए कोई भी स्त्रोत बनाना बहुत जरुरी होता है। मछलियां अन्दर बाहर न आ जा सकें इसके लिए बांध के ऊपरी भाग में PVC पाइप लगाकर, जाली लगा देना चाहिए। साथ ही अन्य कीड़े- मकोड़े भी तालाब में ना आ सके। तालाब का पूरी तरह से निर्माण होने के बाद चूने का छिड़काव बहुत जरूरी होता है, जिससे तालाब का पानी साफ रहे। यह मछली पालन के लिए अच्छा माना जाता है।
मछली पालन के तालाब की तैयारी :-
जिन तालाबों का पानी बहुत ज्यादा काला, हरा, जलकुंभी या अन्य वनस्पतियों से घिरा होता है वे तालाब मछली पालन के लिए अच्छा नही होते हैं। मत्स्य पालकों को अप्रैल-मई में तालाबों से जल हटाकर तलछटी मिट्टी को निकाल देना चाहिए। तालाब में अधिक वनस्पति होने से तालाब का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा इन वनस्पतियों से घिर जाता है, जिससे मछलियों को घूमने-फिरने में दिक्कत होती है। इसका असर मछलियों की ग्रोथ पर भी पड़ता है।
साफ-सफाई और ऑक्सिजन हर प्राणी के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए मछलियों को भी बीमारियों से दूर रखने के लिए तालाब को हमेशा साफ-सुथरा रखना जरुरी है। ऐसे में ऑक्सिजन की भी कमी नही हो पाती है।
सही तरीके से मछली प्रजाति का चुनाव:-
मछली पालन में मछलियों की प्रजातियों को चुनाव सबसे महत्वपूर्ण काम होता है। इनकी प्रजातियों का गलत चुनाव मछली उत्पादन पर बुरा असर डाल सकता है। जिससे मुनाफे पर गहरा असर पड़ सकता है। अगर बात करें इनके नामों की तो भारत में रेहू, कतला, नैनी, सिल्वरकार्प, ग्रास कार्प, कॉमनकार्प, देशीमंगूर, सिंघी और हिस्ला नाम की मछलियों की प्रजातियां मुख्य रूप से पाई जाती है। इन सब मछलियों की प्रजातियों का चयन करना मत्स्य पालको के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। मत्स्य पालक मछलियों को आसानी से हेचरी से कम दामों में खरीद कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
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मछलियों में होने वाले रोग तथा रोगग्रस्त मछलियों के लक्षण:-
मछलियों में रोग जैसे-शरीर पर दाग पड़ना, पंखो का सड़ना, शरीर पर सूजन, मछली का जल की सतह पर आना, मछलियों की चमड़ी का ढीला होना, उनकी हलचल में सुस्ती आना आदि लक्षण लगे तो पालकों को उपचार के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। रोग से पीड़ित मछली को तालाब से निकाल देना सही फैसला होगा ताकि दूसरी मछलियों पर बीमारी का असर न पहुंचे।
मछलियों का भोजन:-
अगर हम मछली क्या खाती है? इस पर चर्चा करें तो मछलियों की ग्रोथ भोजन पर निर्भर होती है। मछलियां तालाब में ही सड़ी-गली वनस्पतियां, जंतु अवशेष, कोमल जलीय घास खाती हैं। इसके साथ ही अगर इन्हें पूरक आहार के रुप में सरसों की खल्ली, राइसब्रान सोयाबीन की खल्ली आदि दिया जाए तो मछलियों की ग्रोथ जल्दी और अधिक होती है। मछलियों को खिलाने के लिए कई कंपनियां भी मछली चारा का निर्माण करती है जो कि बाजार में आसानी से मिल जाता है।
मछली पालन से लाभ
मत्स्य पालकों को मछलियों को बेचने के लिए किसी खास प्रकार की बाजार की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें लोकल मार्केट में भी आसानी से बेचा जा सकता है। मत्स्य पालन कम लागत में ही शुरू कर सकते हैं इसमें कुछ ज्यादा निवेश की आवश्यकता नहीं होती है। मछली में काफी अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है। जिससे लोग इसे काफी पसंद करते हैं। मार्किट में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। डॉक्टर्स भी शरीर से कमजोर मरीजों को मछली खाने की सलाह देते हैं। आंख की तेज रोशनी के लिए मछली बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है जोकि मत्स्य पलकों के लिए अच्छा माना जाता है।
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मछली पालन पर लोन :-
सरकार मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दे रही है। इसके तहत उन्हें 2 लाख तक की रकम सिर्फ 4 फ़ीसदी की मामूली ब्याज पर मिलती है। इसके अलावा तालाब के निर्माण के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है। सरकार मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रही है। जिसे पूरे देश में लागू किया गया है। इसे ब्ल्यू रेवोल्यूशन कहा जाता है। इस योजना का लाभ मछली बेचने वाले, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य पालक, फिश फार्मर्स उठा सकते हैं।
FAQ
Que. मछली पालन को क्या कहते हैं?
Ans. मछली पालन को पीसी कल्चर कहते हैं।
Que. झींगा मछली का बीज कहां मिलेगा?
Ans. झींगा मछली का बीज आपको हेचरी में उपलब्ध हो जाएगा।
Que. मछली पालन के लिए लोन कहां से मिलेगा ?
Ans. आप बैंक में जाकर विभिन्न document देकर मत्स्य पालन लोन ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।
Que. मछली बीज की कीमत कितनी होती है?
Ans. मत्स्य पालक मछलियों को आसानी से हेचरी से कम दामों में खरीद सकते हैं। जैसे आज की स्थिति में रोहू मछली का बीज आपको 0.5 रुपये पीस के हिसाब से मिल जाएगा।
Que. सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली कौन-सी है?
Ans. सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछलियाँ मंगुर बी ग्रेड किस्म की मछलियाँ होती हैं किंतु मत्स्यविभाग और कृषि विभाग भारत सरकार ने वर्ष 1997 से मंगुर बी ग्रेड किस्म की मछलियों को पालने और कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी है।
पालने और कारोबार करने लायक सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली का नाम कतला मछली है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज आपको इस लेख में हमने मछली पालन कैसे शुरू करें (How to start Fish farming in hindi) तथा मत्स्य पालन से जुड़ी प्रत्येक जानकारी के बारे में विस्तार से बताया। आपने देखा की मत्स्य पालन सबसे अच्छा व्यवसाय है। इस बिजनेस में कम लागत में लाखों कमा सकते हैं। आपको आज का यह लेख कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं साथ ही अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
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